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गंगा की महिमा और उसका धार्मिक, आध्यात्मिक महत्व


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गंगा, जिसे हिन्दू धर्म में माँ गंगा के नाम से पूजा जाता है, न केवल एक नदी है, बल्कि यह जीवन, पवित्रता, और मोक्ष का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, गंगा का धरती पर अवतरण भगवान शिव के आशीर्वाद से हुआ, जब उन्होंने इसे अपनी जटाओं में धारण किया। भारत के करोड़ों लोग माँ गंगा की आराधना करते हैं और इसे मोक्षदायिनी के रूप में सम्मानित करते हैं। इस ब्लॉग में हम गंगा के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व, गंगा स्नान के लाभ, गंगा जल की पवित्रता और हरिद्वार के प्रमुख गंगा घाटों पर होने वाली गंगा आरती के बारे में चर्चा करेंगे। गंगा का धार्मिक महत्व गंगा नदी हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र नदी मानी जाती है। यह न केवल भौतिक रूप से जल प्रदान करती है, बल्कि आध्यात्मिक रूप से मोक्ष का द्वार भी खोलती है। धार्मिक मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। माँ गंगा का एक-एक बूँद जल इतना पवित्र माना जाता है कि इसे पूजा, यज्ञ, और धार्मिक संस्कारों में विशेष रूप से उपयोग किया जाता है। हरिद्वार और वाराणसी जैसे तीर्थ स्थलों पर गंगा का विशेष महत्व है, जहाँ लाखों लोग स्नान करने और आरती में भाग लेने के लिए आते हैं। गंगा स्नान के लाभ गंगा में स्नान करने का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टिकोण से महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, गंगा स्नान से मनुष्य के पापों का नाश होता है और आत्मा शुद्ध होती है। मान्यता है कि गंगा जल में डुबकी लगाने से व्यक्ति की आत्मा पवित्र हो जाती है और उसे पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति मिलती है। साथ ही, गंगा का जल अपने शुद्धिकरण गुणों के लिए जाना जाता है। इसके जल में विशेष प्रकार के बैक्टीरियोफेज होते हैं, जो जल को स्वच्छ बनाए रखते हैं। इसलिए, गंगा स्नान का न केवल धार्मिक महत्व है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी माना जाता है। गंगा जल की पवित्रता गंगा जल की पवित्रता और दिव्यता अद्वितीय है। श्रद्धालु गंगा जल को अपने घरों में पूजा के लिए रखते हैं और इसे धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग करते हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी गंगा जल की संरचना में अद्भुत गुण पाए गए हैं, जो इसे दूषित होने से बचाते हैं। यही कारण है कि वर्षों तक भी गंगा जल अपनी शुद्धता बनाए रखता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, गंगा जल में देवताओं का वास होता है, और इसका एक-एक अंश पापों का नाश करने की शक्ति रखता है। हरिद्वार में गंगा घाट और गंगा आरती हरिद्वार को गंगा माँ का धाम कहा जाता है, जहाँ गंगा की धारा तीव्र वेग से बहती है और यहाँ के घाट श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखते हैं। हर की पौड़ी, हरिद्वार का सबसे प्रसिद्ध गंगा घाट है, जहाँ रोजाना गंगा आरती का आयोजन किया जाता है। गंगा आरती एक ऐसा दिव्य अनुभव है, जिसे शब्दों में वर्णित करना मुश्किल है। सायंकालीन समय में जब सूर्य अस्त होता है, तो दीपों की रोशनी में गंगा की आरती का दृश्य अद्भुत होता है। यह आरती श्रद्धालुओं को एक आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देती है। हजारों दीयों से सजी गंगा और मंत्रोच्चारण से गूँजता वातावरण मन, आत्मा और शरीर को शांति और सकारात्मकता से भर देता है। गंगा आरती का आध्यात्मिक अनुभव हरिद्वार में गंगा आरती का अनुभव किसी तीर्थ यात्रा से कम नहीं है। जब श्रद्धालु गंगा के तट पर बैठकर आरती का आनंद लेते हैं, तो उन्हें अपनी आत्मा से गहरा संबंध महसूस होता है। इस दिव्य आरती में भाग लेने वाले लोग अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए माँ गंगा से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। गंगा आरती के दौरान, आरती के दीपों की रोशनी और शंखनाद की आवाज पूरे माहौल को आध्यात्मिकता से भर देती है। गंगा की यात्रा और तीर्थ सेवा न्यास तीर्थ सेवा न्यास, बाबा हठयोगी जी महाराज की दिव्य प्रेरणा से स्थापित किया गया एक पारमार्थिक संगठन है, जो गंगा संरक्षण, पर्यावरण सुरक्षा और धार्मिक स्थलों के विकास के लिए समर्पित है। बाबा हठयोगी जी के प्रेम आश्रम में माँ गंगा की आराधना और नीलधारा में विशेष गंगा आरती का आयोजन किया जाता है, जो श्रद्धालुओं को गंगा माँ से सीधा जुड़ाव महसूस कराती है। यदि आप हरिद्वार की यात्रा पर हैं, तो गंगा आरती में शामिल होना आपके जीवन का एक महत्वपूर्ण अनुभव बन सकता है। गंगा माँ की महिमा और उनका आशीर्वाद आपकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण कर सकता है। निष्कर्ष गंगा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व हिंदू धर्म में सर्वोपरि है। माँ गंगा की आराधना, स्नान और गंगा आरती न केवल पापों का नाश करती है, बल्कि आत्मिक शांति और मोक्ष का मार्ग भी प्रदान करती है। हरिद्वार की यात्रा और गंगा आरती में भाग लेना एक दिव्य अनुभव है, जो श्रद्धालुओं के जीवन को सकारात्मकता और शुद्धता से भर देता है। आइए, माँ गंगा की आरती में भाग लें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को पवित्र और सुखमय बनाएं।

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